अलका याग्निक संग जल्द आएगा हिमाचली लोकगायक दिलीप सिरमौरी का गाना
हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत वादियों में अब पार्श्व गायिका अलका याग्निक की आवाज भी गूंजेगी। हिमाचल के प्रसिद्ध लोक गायक दिलीप सिरमौरी के प्रयासों से यह संभव हो पाया है। अलका याग्निक पहाड़ी बोली में यहां का गाना गाती हुई नजर आएंगी, जिसका टीजर प्रेस क्लब शिमला में लॉन्च हो गया है।
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अखिल भारतीय नाटक एवं नृत्य प्रतियोगिता में राज्यपाल ने दिए अवार्ड
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने गत सायं शिमला के कालीबाड़ी हाल में अखिल भारतीय कलाकार संघ द्वारा आयोजित 68वीं वार्षिक अखिल भारतीय नाटक एवं नृत्य प्रतियोगिता के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि समाज निर्माण में कला एवं कलाकार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
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संस्कृति को संजोता एक कलाकार
कहते हैं कि अगर मन में कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो छोटी जगह में रहकर भी बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है। यह सिर्फ एक कहावत ही नहीं बल्कि हकीकत है। जी हां हिमाचल प्रदेश में सिरमौर जिले के बेहद दुर्गम राजगढ़ क्षेत्र के लोक कलाकार जोगिंदर हाब्बी इसका जीता जागता उदाहरण बन गए हैं।
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जोगेंद्र हाब्बी ने लोकनृत्य प्रतिस्पर्धा में इंडिया व एशिया बुक में दर्ज किए दो रिकॉर्ड
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोक कलाकार जोगेंद्र हाब्बी ने लोकनृत्य प्रतियोगिता में लगातार दस बार प्रथम स्थान प्राप्त कर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स तथा एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करवाकर लोक नृत्य के क्षेत्र में ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किया है। दोनों रिकॉर्ड्स हाब्बी ने लगातार एक ही विभाग द्वारा एक ही व्यक्ति के नेतृत्व एवं निर्देशन में लोक नृत्य प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए बनाए।
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इंडियन आइडल फेम अनुज शर्मा, हिमाचलियों के लिए एक आइकन
हिमाचली लोक संगीत में हिमाचली गायकों का अविस्मर्णीय योगदान है। देवभूमि के कई गायकों ने सिर्फ हिमाचली संगीत को अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान किया बल्कि खुद भी खूब शोहरत पाई। ऐसे ही हिमाचली गायक हैं इंडियन आइडल फेम अनुज शर्मा।
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अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल का सच
विदेशों में अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव की एक सूनामी सी आई है। उनके देश के नाम पर बहुत से फेस्टिवल ऐसे हैं जिन का कोई आधार नहीं। अब उसी की नकल से भारत में भी हो रही है। देश और राज्य के नाम पर और भारतीय सिनेमा के जन्मदाता दादा साहब फाल्के के नाम पर रोज कोई नया फेस्टिवल शरू हो रहा है।
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कैसा हो भारतीय सिनेमा, जानिए फिल्म निर्देशक पवन कुमार शर्मा से
आज समय आ गया कि भारतीय सिनेमा कैसा हो? विदेशी फिल्मों की नकल कर के विदेशो में शूटिंग कर के वहां के लाइफ स्टाईल, वेशभूष, फाइट और लव की नकल कर के करोड़ो रूपये की फ़िल्म बनाना, क्या यही भारतीय सिनेमा है। फ़िल्म के बड़े प्रोडक्शन हाउस इसी में उलझे है। ऐसे में अब ये बड़ा सवाल बन गया है कि भारतीय संस्कृति को खराब करना ही अभिव्यक्ति की आजादी और भारतीय सिनेमा है।
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हिमाचल फिल्म पॉलिसी : हिमाचल के अनुभवी फिल्मकारों कि अनदेखी क्यों?
सभी प्रदेश का सिनेमा अपनी जड़ें मजबूत कर रहा है और सरकार किसी भी पार्टी की हो वो सब फ़िल्म नीति को मजबूत कर रही है। जैसे आज उत्तर प्रदेश में फ़िल्म बंधु 20 सालों से फिल्मों को प्रोत्साहित कर रही है उसी का नतीजा है कि आज 100 से अधिक फिल्मों की शूटिंग उत्तर प्रदेश में हमेशा चली रहती है।
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यशपाल शर्मा की जिद और जनून का नतीजा है फ़िल्म ‘पंडित लख्मीचंद’
पांच साल हां पांच साल का जनून रात दिन एक ही नाम यशपाल के दिल और दिमाग मे पूरी तरह चढ़ा था। जब भी हम किसी भी फ़िल्म फेस्टिवल में ‘करीम मोहम्मद’ को लेकर जाते थे तो रात की महफिल का हीरो होते थे ‘पंडित लख्मीचंद’। दिल्ली, राज्यस्थान या शिमला के फ़िल्म फेस्टिवल में रात में ‘लख्मीचंद’ की गूंज सुनाई देती थी। यशपाल भाई पंडित जी की रागिनी जरूर सुनते थे।
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