हिंदी ENGLISH Wednesday, September 27, 2023
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खेत-खलिहान
परोल की सूखी धरती पर लहलहाने लगा मौसंबी का बगीचा

जिला हमीरपुर जैसे कम ऊंचाई वाले और पानी की कमी वाले क्षेत्र में भी बागवानी की अच्छी संभावनाएं हैं। कभी बागवानी के लिए अनुपयुक्त माने जाने वाले इस क्षेत्र में अब हिमाचल प्रदेश सरकार ने एचपी शिवा परियोजना के माध्यम से बागवानी को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष पहल की है।

सेब सीजन के लिए एचपीएमसी कोल्ड स्टोर्स में भंडारण दरें तय

हिमाचल प्रदेश बागवानी उत्पाद विपणन एवं प्रसंस्करण निगम (एचपीएमसी) के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि आगामी सेब सीजन-2023 के लिए एचपीएमसी सीए स्टोर में सेब के भंडारण की दरें निर्धारित कर दी गई हैं।

कृषि अधिकारियों ने मक्की की फसल को फॉल आर्मी वर्म से बचाने की दी सलाह

विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस कीट ने पिछले वर्ष मक्की की फसल को काफी नुक्सान पहुंचाया था। उन्होंने बताया कि गर्मी अधिक होने पर यह कीट ज्यादा सक्रिय होता है। इसलिए जिला के किसान इस वर्ष भी इस कीट के प्रति सावधान रहें। यह कीट लाखों की तादाद में फसल पर हमला कर उसे पूरी तरह बर्बाद कर देता है।

प्रदेश सरकार सेब सीजन को बनाएगी सफल, जगत सिंह नेगी अधिकारियों दिए ये निर्देश

 हिमाचल प्रदेश में सेब का उत्पादन किसानों-बागवानों की आय और प्रदेश की आर्थिकी का मुख्य स्रोत है। प्रदेश सरकार राज्य में आगामी सेब सीजन के लिए सभी प्रकार की तैयारियां पूर्ण करने की दिशा में कार्य कर रही है।

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के छोटे व सीमांत किसानों की आजीविका में सुधार ला रहा है कृषि अपडेट

कृषि अपडेट हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में कृषि पेशेवरों के एक समूह द्वारा चलाई जा रही एक किसान सशक्तिकरण परियोजना है। यह परियोजना किसानों को सही समय पर सही जानकारी देने और उन्हें लाभकारी खेती अपनाने के लिए सशक्त बनाने का काम कर रही है।

हिमाचल के बागवानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने में कारगर साबित होगा कलस्टर विकास कार्यक्रम

बागवानी ने पिछले पांच दशकों के दौरान राज्य के किसानों-बागवानों की आर्थिकी सुदृढ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे बागवानी हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र में आजीविका का प्रमुख स्रोत बन गई है। मुख्य रूप से सेब व अन्य समशीतोष्ण फलों जैसे आड़ू, नाशपाती, बेर, खुमानी और उपोष्णकटिबंधीय फलों जैसे आम, साइट्रस, लीची, आदि के उत्पादन में शानदार उपलब्धियों के कारण प्रदेश को फल राज्य के रूप में पहचान मिली है।

पारम्परिक फसलें कोदा, चोलाई, सांवा और कांगणी के संवर्द्धन करेगी हिमाचल सरकार

 पौष्टिक अनाज की महत्ता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष, 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को आहार में पौष्टिक अनाज के समावेश, इनकी उपयोगिता और किसानों को मोटे अनाज के उत्पादन के लिए प्रेरित करना है।

नौणी विश्विद्यालय के सब्जी केंद्र देश में सर्वश्रेष्ठ घोषित

सब्जी फसलों पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (ए॰आई॰सी॰आर॰पी॰) के सोलन केंद्र को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा देश में सब्जियों पर ‘सर्वश्रेष्ठ केंद्र (2022)' घोषित किया है। 

एक हेक्टेयर भूमि में प्राकृतिक खेती से सेब और सब्जियां पैदा कर रहे हैं राजेंद्र शर्मा

आनी खेती-बाड़ी को जिस तरह से आज के समय में घाटे का सौदा मानकर हजारों किसान खेती करना छोड़ रहे हैं वहीं आज के दौर में प्रगतिशील किसान कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही "प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान परियोजना" के अंतर्गत लाभ लेकर अपनी आय में इजाफा कर रहे हैं।

विवेक जोशी प्राकृतिक विधि से तैयार कर रहे विंटरडॉन व कामारौसा किस्म की स्ट्रॉबेरी

केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा अनेकों योजनाएं संचालित की जा रही है। इन योजनाओं का लाभ लेकर बेराजगार युवा आत्मनिर्भर होकर अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ कर सकते हैं।

हिमाचल में नई तकनीक से तैयार होंगे उच्च गुणवत्ता और उत्पादकता वाले पौधे

बागवानी क्षेत्र प्रदेश की अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग है। प्रदेश सरकार किसानों और बागवानों के कल्याण के लिए कई अभिनव कदम उठा रही है। इस कड़ी में राज्य सरकार बागवानी क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता और उत्पादकता वाले पौधों को विकसित करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करने की योजना बना रही है।

ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गए बागवानी मंत्री ने बताया, 1800 हेक्टेयर भूमि पर 20 लाख संतरे के पौधे लगाएगा महकमा

हिमाचल प्रदेश के बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी के नेतृत्व में छह दिवसीय ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गए विभागीय दल ने आज चौथे दिन एलिजाबेथ मैकऑर्थर कृषि संस्थान, आस्ट्रेलिया में डॉ. नेरिडा डोनोवन से भेंट की। 

ऊना में मिलेट्स की खेती को बढ़ावा देने हेतू खंड स्तर पर 60 कृषि सखियों को किया प्रशिक्षित

मोटे अनाज वाली फसलों जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू को मिलेट क्रॉप कहा जाता है। मिलेट्स को सुपर फूड कहा जाता है, क्योंकि इनमें पोषक तत्व अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में होते हैं। भारतीय मिलेट्स अनुसंधान संस्थान के अनुसार, रागी यानी फिंगर मिलेट में कैल्शियम की मात्रा अच्छी होती है। प्रति 100 ग्राम फिंगर मिलेट में 364 मिलिग्राम तक कैल्शियम होता है। रागी में आयरन की मात्रा भी गेहूं और चावल से ज्यादा होती है।

केमिकल्स और खाद के बगैर बढ़ाई पैदावार, फसल के दाम भी चोखे

खतरनाक रसायनों से युक्त महंगे कीटनाशकों और खाद का अत्यधिक प्रयोग करके जमीन एवं फसलों में जहर घोलने के बजाय भारत की पारंपरिक प्राकृतिक खेती से भी अच्छी पैदावार हासिल की जा सकती है। प्राकृतिक खेती से तैयार फसलें जहां खतरनाक रसायनों से पूरी तरह मुक्त होती हैं, वहीं बाजार में इन्हें अच्छे दाम भी मिलते हैं। 

किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए जागरूक करें वैज्ञानिक: राज्यपाल

 राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज शिमला के निकट क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र मशोबरा का दौरा किया। केंद्र के अपने पहले दौरे पर राज्यपाल ने वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वे संस्थानों से बाहर निकलकर अपने क्षेत्र में किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करें। उन्होंने कहा कि किसान इसके लाभ जानकर निश्चित रूप से इस पद्धति को अपनाएंगे।

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