हमारे शब्दों के न हाथ हैं न पांव,
कुछ शब्द दवा करें, तो कुछ करें घाव।
एक मीठी सी मुस्कान हैं बेटी,
यह सच है कि मेहमान हैं बेटी,
उस घर की पहचान बनने चली,
जिस घर से अनजान हैं बेटी।
बेटी हूं हिन्दुस्तान की, सब पर मैं भारी हूं।
भारतवर्ष है जान मेरी, समाज की जिम्मेदारी हूं॥
शत्रु पर न करें कभी, आप पूर्ण विश्वास। बदले की मिटती नहीं, कभी अधूरी प्यास।।