अपने युग का हिमाचल
हिमाचलवासियों के लिए 15 अप्रैल का दिन अहम है। 15 अप्रैल 1948 को स्वतंत्रता प्राप्ति के आठ माह बाद 1948 में 30 रियासतों का विलय कर पहाड़ी प्रात हिमाचल प्रदेश अस्तित्व में आया। यह दिन पहाड़ी लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतीक है। 25 जनवरी सन 1971 को हिमाचल को पूर्ण राज्यत्व का दर्जा मिला और पहाड़ी क्षेत्र भारत का 18वां राज्य बना।
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कांगड़ा भूकंप त्रासदी के 118 साल
आज से ठीक 118 साल पहले 1905 में 4 अप्रैल की सुबह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में भूकंप ने ऐसी तबाही बरपाई थी कि चारों ओर सिर्फ तबाही तबाही ही दिख रही थीl यह मंजर अपनी आंखों से देखने वाले अब शायद ही इस दुनियां में रहे हों, लेकिन यह दर्द आज भी हर कांगड़ावासी के जहन में जिंदा हैI यह दिन शायद ही कांगड़ा के लोग कभी भुला पाएं।
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जानिए क्या है वसंत ऋतु और बसन्त पंचमी का महत्व
जब प्रकृति का कण-कण खिल उठता है...फूलों पर बहार आ जाती... खेतों मे सरसों का सोना चमकने लगता... जौ और गेहूं की बालियां खिलने लगतीं... पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं... आमों के पेड़ों पर बौर आ जाता और हर तरफ़ रंग-बिरंगी तितलियां मंडराने लगतीं और खेत सरसों के फूलों से भरे पीले दिखाई देते हैं तो वसंत ऋतु का आगमान होता है। इस ऋतु के आने से मानव तो क्या पशु-पक्षी भी उल्लास से भर जाते हैं।
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रोचक है हिमाचल के इतिहास का सफर
हिमाचल प्रदेश का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना कि मानव अस्तित्व का अपना इतिहास है। इस बात की सत्यता के प्रमाण हिमाचल प्रदेश के विभिन्न भागों में हुई खुदाई में प्राप्त सामग्रियों से मिलते हैं।
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हिमाचल से रहा है अटल बिहारी वाजपेयी का गहरा नाता
अटल बिहारी वाजपेयी बेशक पूरे देश के लिए प्रधानमंत्री थे, लेकिन हिमाचल के लिए वे अभिभावक की तरह रहे। यही वजह है कि सक्रिय राजनीतिक छोड़ने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री ने कुल्लू के प्रीणी को अपना घर बनाया। वह ज्यादातर समय यही पर ही रहना पसंद करते थे। यहां के सौंदर्य और बर्फ से लदी पहाड़ियों पर उन्होंने कविताएं भी लिखी हैं।
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शिमला की इस ईमारत में लिखी गई थी भारत विभाजन की पटकथा
भारत आज 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। देश की आजादी के लिए भारत को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी। जब भी भारत की आजादी का जिक्र होगा, तब शिमला का ज़िक्र अवश्य होगा। पहाड़ों की रानी शिमला देश की आजादी के इतिहास का गवाह है।
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