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Biography
हिमाचल की चित्रकला एवं मूर्तिकला को सहेजता एक कलाकार विजयराज

हिमाचल के दिल में बसे बिलासपुर शहर ने एक ऐसे चित्रकार को जन्म दिया है जो न केवल मूर्तिकला में अपनी पहचान देश-विदेश स्तर तक बना चुका है बल्कि रंगमचं और अन्य विविध गतिविधियों में भी बिलासपुर के नाम को अतंरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया है। विजयराज की तूलिका में जितना दम है उतना ही विभिन्न प्रकार की कलाओं में भी इन्हें महारत हासिल है।

हिमाचल की राजनीति के दबंग 'राणा', जिसने सिखाए दांव-पेंच उसी को दी पटखनी

 हिमाचल प्रदेश में राजेन्द्र राणा को एक ऐसे सियासतदान के रूप में जाना जाता है जिसने सियासी रणभूमि में उसी शख्स को धराशायी किया जिसने उन्हें राजनीती के दांव पेंच सिखाएं थे। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से ही राजनीतिक दांव-पेंच सीखने वाले उनके शिष्य राजेंद्र राणा हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिला के सुजानपुर से जीत की हैट्रिक लगाकर विधानसभा की दहलीज़ तक पहुंचे हैं।  

अनुभवों की चाशनी में डूबा हुआ एक कलमकार

पत्रकारिता की डिग्री अगर किसी को बेहतर पत्रकार बना सकती तो कृष्ण भानु से पहले कई नाम हिमाचल में उभर कर सामने आ सकते थे। लेकिन डिग्रियों वाले पत्रकारों के या तो शब्द हांफ गए या उनकी कलम राजनीतिज्ञों की रखैल बन गई। ऐसा नहीं कि हिमाचल की पत्रकारिता के फलक पर सिर्फ कृष्ण भानु अकेला ऐसा पत्रकार है जो आगे की कतार में दिखता है, और भी कई नाम हो सकते हैं, लेकिन कृष्ण भानु को अग्रिम पंक्ति में देखने के लिए आपकी आँखों के चश्में का नंबर सही होना चाहिए।  

हिमाचल का मिर्ज़ा ग़ालिब-लाल चंद प्रार्थी

लाल चंद प्रार्थी का नाम आज भी हिमाचल की वादियों में पूरी शिद्दत के साथ लिया जाता है। यहां के लोगों के जहन में आज भी लाल चंद प्रार्थी द्वारा हर क्षेत्र में किए हुए काम याद है, और यही कारण है कि लाल चंद प्रार्थी का नाम आज भी कुल्लू जिला के सिर पर मुकुट की तरह चमक रहा है।

शिव प्रताप शुक्ला: जातिवाद के खिलाफ, बुलंद आवाज

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला उनका जन्म 1 अप्रैल 1952 को उत्तर प्रदेश के रुद्रपुर में हुआ था। उनकी शिक्षा दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर से पूरी हुई है। साल 1968 में शिव प्रताप शुक्ला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े।

जन्मदिन पर विशेष : प्रथम भारतीय सेनाध्यक्ष के. एम. करिअप्पा

फील्ड मार्शल कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा भारतीय सेना के प्रथम कमांडर-इन-चीफ थे। के.एम. करिअप्पा ने सन् 1947 के भारत-पाक युद्ध में पश्चिमी सीमा पर सेना का नेतृत्व किया था।

युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानन्द

स्वामी विवेकानन्द आधुनिक भारत के एक महान् चिंतक, महान् देशभक्त, दार्शनिक, युवा संन्यासी, युवाओं के प्रेरणास्रोत और एक आदर्श व्यक्तित्व के धनी थे। भारतीय नवजागरण का अग्रदूत यदि स्वामी विवेकानंद को कहा जाए तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। 'विवेकानंद' दो शब्दों द्वारा बना है। 

डॉ. धनी राम शांडिल : सेना से सियासत तक का सफर

डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल का जन्म सोलन जिला की कंडाघाट तहसील के बशील गांव में स्वर्गीय नारायणू राम शांडिल के घर 20 अक्तूबर 1940 को हुआ। 

प्रो. चन्द्र कुमार : प्रोफेसर से राजनीती तक का सफर

प्रो. चन्द्र कुमार का जन्म 8 मई, 1944 को स्व. श्री बेली राम के घर ग्राम ढान, तहसील ज्वाली, जिला कांगड़ा में हुआ। इनके पिता एक कृषक थे। 

छात्र राजनीति से छनकर निकले हैं खीमीराम शर्मा

खीमीराम शर्मा हिमाचल की राजनीति का एक बड़ा नाम है। खीमीराम शर्मा का छात्र नेता से भाजपा के प्रदेशाध्याक्ष और फिर कैबिनेट मंत्री तक का सफर चुनौती भरा रहा है।

सरकार की नज़र ए इनायत को तरसता गोल्ड मेडलिस्ट हरजीत

हरजीत कुमार...एक ऐसा खिलाड़ी जिसने भारत के लिए दो बार वर्ल्ड मार्शल आर्ट्स खेलों पदक दिलाए हैं। हरजीत कुमार हिमाचल के इकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर यह कमाल दिखाया है। लेकिन प्रदेश सरकार ने इस हरफनमौला खिलाडी को हमेशा नज़रंदाज़ ही किया। उसे मेडल लाने पर सरकार की और से आज तक कोई भी इनाम और प्रोत्साहन नहीं मिला। फिर भी देश को मिल रहे पदकों से वह बहुत खुश है।

जानिए हिमाचल प्रदेश के नए मुख्य सचिव राम सुभग सिंह की ख़ास बाते

राम सुभग सिंह ने हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव का पदभार ग्रहण किया। वह 1987 बैच के हिमाचल प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश और राज्य के बाहर कई महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है तथा विभिन्न नवाचारों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।