हिंदी ENGLISH Monday, June 05, 2023
Follow us on
आज का इतिहास : 05 जून
Aaj Ka Itihas

हिमाचल न्यूज़ रिसर्च डेस्क

हिमाचल न्यूज़ ई पेपर पढने के लिए यहां Click करें

5 जून: ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार 5 जून वर्ष का 156वां (लीप वर्ष में यह 157वां) दिन है। साल में अभी 209 दिन शेष हैं। भारत और विश्व इतिहास में 5 जून का खास महत्व है, क्योंकि इस दिन कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटी जो इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज होकर रह गईं हैं। आज का इतिहास में जानिए आज के दिन जन्मे चर्चित व्यक्ति, प्रसिद्ध व्यक्तियों के निधन, युद्ध संधि, किसी देश की आजादी, नई तकनिकी का अविष्कार, सत्ता का बदलना, महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दिवस के बारे में। आईए हिमाचल न्यूज़ में पढ़ें भारत और विश्व इतिहास के पन्‍नों में दर्ज 5 जून  का इतिहास एवं घटनाक्रम।

 

5 जून की प्रमुख घटनाएं (What Happened on 5 June in History)

1981 में पहली बार 5 लोगों के एड्स से संक्रमित होने का पता चला, 1999 तक दुनिया में मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण था एड्स

1981 में आज ही के दिन सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने एक आर्टिकल छापा था। आर्टिकल मोर्बिडिटी एंड मोर्टालिटी वीकली में छपा था। इसमें नए तरह के न्यूमोसिस्टिस निमोनिया होने के बारे में बताया गया। ये 5 समलैंगिक लोगों के अंदर मिला था। इन मरीजों की इम्युनिटी अचानक कम हो गई थी। कुछ महीने बाद पांचों की मौत हो गई। इसी बीमारी को आगे चलकर वैज्ञानिकों ने एड्स (AIDS) नाम दिया।

आर्टिकल छपने के कुछ दिन बाद ही अमेरिका में इस तरह के कई मामले सामने आए। सीडीसी ने जांच के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया। उसी साल जून में ही 35 साल के एक समलैंगिक व्यक्ति को इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। ये हॉस्पिटल में भर्ती होने वाला एड्स का पहला मरीज था।

शुरुआत में ये बीमारी केवल समलैंगिक लोगों में ही होती थी, इस वजह से इसे गे-रिलेटेड इम्यून डेफिशिएंसी, गे कैंसर या गे मेंस निमोनिया नाम दिया गया। अगस्त 1981 तक पूरे अमेरिका में इस बीमारी के 108 मामले सामने आए, इनमें से केवल एक महिला थी। इन 108 मरीजों में 94 फीसदी समलैंगिक थे और कुछ ही महीनों में इनमें से 40फीसदी मरीजों की मौत हो गई।

10 दिसंबर 1981 को बॉबी कैंपबेल ने सार्वजनिक तौर पर खुद को इस बीमारी से संक्रमित होने की पुष्टि की। ऐसा करने वाले वे पहले शख्स थे। इसी के साथ वे इस बीमारी से लड़ने के लिए पोस्टर बॉय बन गए।

धीरे-धीरे ये बीमारी महामारी का रूप लेती जा रही थी। डॉक्टरों, वैज्ञानिकों के साथ-साथ लोगों में भी डर था। लिहाजा अलग-अलग अवेयरनेस प्रोग्राम होने लगे, बीमारी पर रिसर्च के लिए फंड दिए जाने लगे। सितंबर 1982 में सीडीसी ने इस बीमारी को पहली बार परिभाषित किया और इसे एड्स यानी “AIDS” (Acquired Immune Deficiency Syndrome) नाम दिया गया।

अगले ही साल एड्स के लिए जिम्मेदार वायरस का पता लगा लिया गया और वायरस की पहचान के लिए एक स्क्रीनिंग टेस्ट भी तैयार कर लिया गया। 1984 में एड्स कैंपेन के पोस्टर बॉय बॉबी कैंपबेल की 32 साल की उम्र में मौत हो गई।

दिसंबर 1985 में पेंसिल्वेनिया में 20 महीने के ड्वाइट बर्क की एड्स से मौत हो गई। उसे अपने संक्रमित माता या पिता से एड्स हुआ था। जन्म से ही किसी को एड्स होने का ये पहला मामला था। मार्च 1987 में अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने एड्स की पहली दवा विकसित की।

इसी साल एफडीए ने एड्स  को संक्रामक बीमारी घोषित करते हुए दूसरे देशों से आने वाले सभी लोगों के लिए एड्स की टेस्टिंग अनिवार्य कर दी। ये नियम जनवरी 2010 तक रहा। पूरी दुनिया में इसके बाद एड्स के बारे में लोगों को जागरूक करने के अभियान शुरू हो गए और 1988 से हर साल 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे के रूप में मनाया जाने लगा।

90 के दशक में इस बीमारी से जुड़े बड़े-बड़े अपडेट आए। 1991 में पहली बार लाल रिबन को एड्स बीमारी के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया। अगले ही साल अमेरिका में 25 से 44 साल के लोगों की मौतों का सबसे बड़ा कारण एड्स बन गया। हालांकि 1995 में एंटीरेट्रोवियल थेरेपी और दूसरी विकसित दवाओं की मदद से मौतों का आंकड़ा कुछ कम हुआ। इसके बाद भी 1999 तक एड्स दुनिया में मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण था।

2004 में एड्स से दुनियाभर में 18 लाख मौतें हुईं। ये एक साल में एड्स से हुई मौतों का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसके बाद एड्स से होने वाली मौतों में 61फीसदी की कमी आई है। 2020 में एड्स की वजह से दुनियाभर में 6 लाख 90 हजार लोगों की मौत हुई।

साभार: दैनिक भास्कर

 

संपूर्ण क्रांति दिवसः जेपी ने इंदिरा के खिलाफ फूंका था बिगुल, रेणु ने गाए थे दिनकर के क्रांति गीत

आजादी के बाद का एक महत्वपूर्ण अध्याय है जेपी आंदोलन। उसी दरम्यान देश में आपातकाल लागू हुआ था। उस वक्त छात्र और नौजवान आंदोलन के लिए आगे आए थे। जेपी राजनीतिक पार्टियों के बजाए छात्रों और नौजवानों को जगा रहे थे। क्योंकि 1967 और 1972 में देश में कई राज्य में गैरकांग्रेसी सरकार बनी थी, लेकिन सभी सरकारों ने देश को निराश किया था। जय प्रकाश नारायण जिनकी हुंकार पर नौजवानों का जत्था सड़कों पर निकल पड़ता था।

5 जून, 1974 को लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने पटना के गांधी मैदान से त‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लागू आपातकाल के खिलाफ संघर्ष का बिगुल फूंका था। तब उन्‍होंने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था। इस दौरान लाखों की भीड़ उमड़ी थी। 'सिंघासन खाली करो कि जनता आती है' का नारा भी यहीं दिया गया था। इस रैली में कवि रेणु ने जयप्रकाश नारायण के स्‍वागत में दिनकर के क्रांति के भाव जगाती कविताओं का पाठ किया था। ये आजादी के बाद स्वतंत्र भारत में संपूर्ण क्रांति अनोखा प्रयोग था।

पांच जून 1974 को पटना की सड़कों पर विशाल जुलूस निकाला जो बेली रोड से होते हुए गांधी मैदान पहुंचा था। आंदोलनकारियों का जुलूस गांधी मैदान में आते-आते आम सभा में तब्दील हो गया था। सभा में पहली बार जेपी ने संपूर्ण क्रांति की घोषणा की थी। उन्होंने साफ शब्दों में कहा था कि संपूर्ण क्रांति राजनीति नहीं, व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई है। सभा के दौरान कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु ने जेपी का स्वागत किया था। उन्होंने राष्ट्रकवि दिनकर की कविता पढ़ी थीं। जेपी को सुनने के लिए बिहार के अलग-अलग जिलों से लोग आए थे। मंच पर जेपी के सामने आचार्य राममूर्ति कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे।

गांधी मैदान में जेपी को सुनने के लिए लाखों की भीड़ थी। जेपी ने मैदान के बीचो-बीच बने मंच से लोगों को संबोधित किया था। गांधी मैदान के चारों ओर पुलिस का पहरा था। लोगों ने जेपी की बातों को शांतिपूर्वक सुना था। उन्हें सुनने को लेकर लोग बैरक को भी लांघ कर मैदान में पहुंचे थे। मंच पर जेपी के साथ नाना भाई देशमुख, आचार्य राममूर्ति आदि भी थे। भीड़ के बावजूद लोग अनुशासन में थे।

संपूर्ण क्रांति में उठाए गये मुद्दे आज नहीं उतरा धरातल पर: वर्तमान की राजनीति में सक्रिय लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, सुशील कुमार मोदी, रविशंकर प्रसाद जैसे नाम उसी छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे, जिसका नेतृत्व जेपी करते थे। जेपी आंदोलन में शरद यादव, रामविलास पासवान के साथ वर्तमान में आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी का नाम भी शामिल रहे। बहुत लोग सवाल उठाते हैं कि संपूर्ण क्रांति में जो मुद्दा उठाया गया था उन मुद्दों का क्या हुआ। यह सवाल वाजिब है। आज सत्ता पक्ष और विपक्ष में वही लोग हैं जो कभी जेपी के आंदोलन में जुड़े थे। जेपी का आंदोलन भी धरातल पर नहीं उतरा, लेकिन उस आंदोलन को गलत नहीं कहा जा सकता।

 

1975: आठ साल बाद खुली स्वेज नहर

भूमध्यसागर और लाल सागर को आपस में जोड़ने वाली स्वेज नहर को आज ही के दिन दोबारा खोला गया था। ये नहर 1869 में बनकर तैयार हुई थी और अगले 88 सालों तक इस पर ब्रिटिशर्स का कब्जा था, लेकिन जुलाई 1956 में मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर ने स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण कर दिया और यहां से निकलने वाले जहाजों पर टैक्स लगा दिया। इसके बाद इजराइल ने मिस्र पर हमला कर नहर अपने कब्जे में ले ली। यूनाइटेड नेशन और ब्रिटेन के दबाव के बीच इजराइल ने 1957 में नहर दोबारा मिस्र को सौंप दी। इसके बाद अगले 10 साल इस नहर पर मिस्र का कब्जा रहा और इससे जहाजों की आवाजाही होती रही। 1967 में मिस्र ने नहर को बंद कर दिया जिसके बाद अरब देशों और इजराइल के बीच 6 दिन का भीषण युद्ध हुआ। इजराइल के साथ शांति समझौता होने के बाद मिस्र के राष्ट्रपति अनवर अल सादत ने आज ही के दिन 1975 में इस नहर को यातायात के लिए खोला था।

साभार: दैनिक भास्कर

 

देश-विदेश में 5 जून को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता है

1659: मुगल शासक औरंगजेब आधिकारिक रूप से दिल्ली की गद्दी पर बैठा।

1661: महान वैज्ञानिक आइजक न्यूटन ने कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में दाखिला लिया।

1752: बेंजामिन फ्रैंकलिन ने बिजली विद्युत का एक स्रोत है, यह दर्शाने के लिए पतंग उड़ाई।

1882: बॉम्बे (अब मुंबई) में तूफान और बाढ़ से करीब एक लाख लोगों की मौत।   

1915: डेनमार्क ने अपने संविधान में संशोधन कर महिलाओं को वोट का अधिकार दिया।

1924: अर्नेस्ट एलेक्जेंडरसन ने अटलांटिक महासागर के पार पहला फैक्स भेजा।

1953: डेनमार्क में नया संविधान अंगीकार किया गया।

1967: इजरायल ने मिस्र पर हमला कर उसके करीब चार सौ लड़ाकू विमान नष्ट कर दिए।

1972: संयुक्त राष्ट्र महासभा द्यारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत हुई।

1977: ऐपल ने ऐपल II कम्प्यूटर पेश किया।

1984: ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत सिखों के धर्म स्थल पंजाब के अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में भारतीय सेना ने प्रवेश किया।   

1988: पहला राष्ट्रीय कैंसर उत्तरजीवी दिवस आयोजित किया गया।  

1989: भारत ने ‘त्रिशूल’ मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।

2000: पहली सबसे छोटी फिल्म "405 द मूवी" को इंटरनेट पर जारी किया गया।

2005: ताइवान ने अपनी पहली क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया।

2013: बिहार में 44 लोग एक बिजली तूफान द्वारा मारे गए।

2015: मैगी में लेड की ज्यादा मात्रा मिलने के बाद भारत ने मैगी पर बैन लगा दिया।

2017: भारत ने सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी एमके-3 की मदद से जीसैट-19 सेटेलाइट को लॉन्च किया।

 

5 जून को जन्मे व्यक्ति (Born on 5 June)

1879: भारत में 'ट्रेड यूनियन आंदोलन' के जन्मदाता एन. एम. जोशी का जन्म

नारायण मल्हार जोशी भारत में 'ट्रेड यूनियन आंदोलन' के जन्मदाता थे। उन्होंने 1920 में 'अखिल भारतीय ट्रेड युनियन कांग्रेस' की स्थाना की और 1929 तक उसके सचिव रहे। कांग्रेस में साम्यवादियों के प्रभाव के कारण उन्होंने कांग्रेस छोड़कर 'ट्रेड यूनियन परिसंघ' नामक एक नया संगठन बनाया था। वे केन्द्रीय विधानसभा, दिल्ली के निर्वाचित सदस्य भी रहे थे। अपने इन्हीं सब कार्यों को करते हुए और देश की सेवा में जीवन व्यतीत करने वाले इस महान् व्यक्तित्व का 1955 ई. में निधन हो गया।

 

1892: स्वतंत्रता पूर्व औपनिवेशिक काल में पंजाब राज्य के प्रधानमंत्री सिकन्दर हयात ख़ान का जन्म

स्वतंत्रता पूर्व औपनिवेशिक काल में पंजाब राज्य के प्रधानमंत्री थे। वह 5 अप्रैल, 1937 से 25 दिसंबर, 1942, अपनी मृत्यु तक इस पद पर रहे। सिकन्दर हयात ख़ान यूनियन पार्टी के राजनीतिज्ञ थे। वह 1 अप्रैल, 1935 से 20 अक्टूबर, 1935 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के उप-गवर्नर रहे। सर जेम्स ब्रेड टेलर के साथ वे इस पद को संभालने वाले भारत के प्रथम व्यक्ति थे। उनके राजनैतिक साथी सर छोटूराम तथा चौधरी चरण सिंह ने पंजाब और उत्तर प्रदेश में भरपूर स्कूल कॉलेज बनवाए और कई राज्यों का सम्पूर्ण विकास कराया। सिकन्दर हयात ख़ान 19 जुलाई, 1932 से 19 अक्टूबर, 1932 तक पंजाब के राज्यपाल भी रहे। सिकन्दर हयात ख़ान ने अफ़ग़ान युद्ध में देश का गौरव बढ़ाया, जिस पर भारत सरकार ने उनको सम्मानित किया था। 25 दिसंबर, 1942 को उनकी मृत्यु हुई।

 

1939: पुदुचेरी के पूर्व मुख्यमंत्री सुब्रमण्यम रामास्वामी का जन्म

पुदुचेरी के चौथे मुख्यमंत्री सुब्रमण्यम रामास्वामी राजनीतीक दल एआईएडीएमके से जुड़े राजनेता थे। वह 6 मार्च, 1974 से 28 मार्च, 1974 तक और 2 जुलाई, 1977 से 12 नवंबर, 1978 तक दो बार पुदुचेरी के मुख्यमंत्री रहे।

 

1946: अरुणाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री प्रेम खंडु थंगुन का जन्म

अरुणाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री प्रेम खंडु थंगुन जनता दल के नेता थे। खंडु थंगुन 13 अगस्त 1975 से 18 सितंबर 1979 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे।

 

1961: 'पद्मश्री' से सम्मानित भारत के प्रसिद्ध टेनिस प्रशिक्षक और पूर्व टेनिस खिलाड़ी रमेश कृष्णन का जन्म

भारत के प्रसिद्ध टेनिस प्रशिक्षक और पूर्व टेनिस खिलाड़ी रमेश कृष्णन 1970 के दशक के अंत में कनिष्ठ खिलाड़ी के रूप में इन्होंने विंबल्डन और फ्रेंच ओपन में पुरुष एकल का खिताब जीता था। वर्ष 1980 के दशक में तीन ग्रैंड स्लैम के क्वार्टर फ़ाइनल तक पहुंचे और डेविस कप टीम में भी फ़ाइनल तक पहुंचे थे। रमेश कृष्णन 2007 में भारत के डैविस कप कप्तान रहे थे। ये रामनाथन कृष्णन के पुत्र हैं, जो भारत के प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी रहे हैं। इन्हें 1998 में भारत सरकार ने 'पद्मश्री' सम्मान से सम्मानित किया था।

 

1972: उत्तर प्रदेश राज्य के 21वें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जन्म

उनका मूल नाम 'अजय सिंह नेगी' है। उत्तर प्रदेश में सम्पन्न हुए विधान सभा चुनाव, 2017 में भारतीय जनता पार्टी की विजय के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। पूर्वांचल में गहरी पैठ रखने वाले योगी आदित्यनाथ अपनी हिन्दुत्ववादी छवि के लिए विशेषतौर पर जाने जाते हैं। 'हिन्दू युवा वाहिनी' के संस्थापक आदित्यनाथ तमाम हिन्दू संगठनों में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। दस वर्षों से अधिक समय से वे भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं। योगी आदित्यनाथ 2014 के लोक सभा चुनाव में पार्टी के टिकट पर गोरखपुर से लोक सभा सांसद चुने गए थे। वे 1998 से लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। आदित्यनाथ जी गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं।

 

5 जून को हुए निधन (Died on 5 June)

1942: प्रतिभाशाली ग़ज़ल और गीत गायक मास्टर मदन की मात्र 15 वर्ष में मृत्यु   

मास्टर मदन भारत की आज़ादी से पहले के एक प्रतिभाशाली ग़ज़ल और गीत गायक थे। मास्टर मदन एक ऐसे कलाकार थे जो 1930 के दशक में एक किशोर के रूप में ख्याति प्राप्त करके मात्र 15 वर्ष की उम्र में 1940 के दशक में ही स्वर्गवासी हो गए। ऐसा माना जाता है कि मास्टर मदन को आकाशवाणी और अनेक रियासतों के दरबार में गाने के लिए बहुत ऊँची रकम दी जाती थी। मास्टर मदन उस समय के प्रसिद्ध गायक कुंदन लाल सहगल के बहुत क़रीब थे जिसका कारण दोनों का ही जालंधर का निवासी होना था। मास्टर मदन का जन्म 28 दिसंबर, 1927 को पंजाब के जालंधर ज़िले के खानखाना गाँव में हुआ था। उनके जीवन में केवल 8 गाने ही रिकॉर्ड हो पाये जो आज उपलब्ध है। जिनमें से सार्वजनिक रूप से केवल दो ही गानों की रिकॉर्डिंग सब जगह मिल पाती है। ‘यूँ न रह-रह कर हमें तरसाइये’, व ‘हैरत से तक रहा है’। अन्य छ: गाने बहुत ही कम मिल पाते है। मात्र 14 साल की उम्र में 5 जून, 1942 को इस विलक्षण बुद्धि के बालक का निधन हो गया था।

 

5 जून के महत्त्वपूर्ण अवसर एवं उत्सव (Important events and festivities of 5 June)

विश्व पर्यावरण दिवस

साल 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया था। स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुए इस आयोजन में करीब 110 देशों ने हिस्सा लिया। इसमें संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का गठन हुआ। इस सम्मेलन की शुरुआत 5 जून को हुई थी। इसी की याद में 1974 में पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। इसके बाद से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

 

प्रस्तुति
हिमाचल न्यूज़ रिसर्च डेस्क

बाहरी कड़ियां
विकिपीडिया
bharatdiscovery.org

Posted By: Himachal News

<June 2023>
SuMoTuWeThFrSa
28293031123
45678910
11121314151617
18192021222324
2526272829301
2345678