हिमाचल न्यूज : बरसात का मौसम किसे पसन्द नहीं होता। आसमान में बादलों का झुण्ड आपको प्रकृति के करीब होने का अहसास दिलाता है। इस मौसम में प्रकृति अपनी अद्भुत सुन्दरता बिखेरती हैं। सुहानी हवा और महकता मौसम सभी को खुशगवार लगता है।
मानसून को रोमांस, हरियाली, नैर्सागिंक सौंदर्य तथा आनन्द दायक सीजन के रूप में जाना जाता है। मानसून सीजन की सबसे बड़ा भार आपके पांव को झेलना पड़ता है। जब कीचड़ से सने रास्तों, पानी से लबालब गलियों, आर्द्रता भरे ठण्डे़ वातावरण तथा सीलन में चलने से जूते चिपचिपे हो जाते है और पांव से बदबूदार पसीना निकलना शुरू होता है तो उससे पांव में दाद, खाज, खुजली तथा लाल चक्तें पड़ जाते है। इस मौसम में पैरों के इर्द-गिर्द के क्षेत्र में संक्रमण पैदा होता है जिसमें दुर्गन्ध पैदा होती है।
प्रतीकात्मक तस्वीर | PHOTO : Pexels.com
एथलीट फूट और बैकटिरियल संक्रमण
बरसात के गर्म तथा आर्द्रता भरे मौसम में पांवों की गीली त्वचा की वजह से ‘‘एथलीट फूट’’ नामक बीमारी पावों को घेर लेती है। यदि प्रारम्भिक तौर पर इसकी उपेक्षा की जाये तो यह पांवों में दाद, खाज, खुजली जैसी गम्भीर परेशानियों का कारण बन जाती है। ‘‘एथलीट फूट’’ की बीमारी फंगस संक्रमण की वजह से पैदा होती है इसलिए अगर उंगलियों में तेज खारिश पैदा हो रही हो तो तत्काल त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लीजिए। इस बीमारी के प्रारम्भिक दौर में एंटी फंगल दवाईयां काफी प्रभावी साबित होती है। बरसात के दौरान आर्द्रता भरे मौसम में तंग जूते पहनने से अत्याधिक पसीना निकलता है। जिससे बैकटिरियल संक्रमण की वजह से पांवों की स्थिति बिगड़ सकती है।
मानसून के सीजन में पांवों के देखभाल की अत्याधिक आवश्यकता होती है। आप कुछ साधारण सावधानियों तथा आर्युवैदिक उपचारों से पांव तथा उंगलियों के संक्रमण से होने वाले रोगों से बच सकते है।
पसीने के साथ निकलने वाले गंदे द्रव्यों को प्रतिदिन धोकर साफ करना जरूरी होता है ताकि दुर्गन्ध को रोका जा सके तथा पांव ताजगी तथा स्वच्छता का अहसास कर सके।
सुबह नहाती बार अपने पांवो की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दीजिए। पांवों को धोने के बाद उन्हें अच्छी तरह सूखने दें तथा उसके बाद पांव तथा उंगलियों के बीच टैलकम पाउडर का छिड़कांव करें।
यदि आप बंद जूते पहनाते है तो जूतों के अन्दर टैलकम पाउडर का छिड़काव कीजिए।
इस मौसम में जुराबें पहनने से परहेज करते हुए खुले जुते पहनिए, टैलकम पाउडर का प्रयोग कीजिए तथा पांवों को अधिकतम शुष्क रखिए। यदि जुराबे पहनना जरूरी हो तो सूती जुराबे ही पहनिए। वास्तव में गर्म आर्द्रता भरे मौसम में पांवों को अधिकतम समय तक खुला रखना चाहिए।
बरसात के मौसम के दौरान स्लिपर तथा खुले सैंडिल पहनना ज्यादा उपयोगी साबित होता है क्योंकि इससे पांवों में हवा का अधिकतम संचालन होता है तथा पसीने को सुखने में भी मदद मिलती है। लेकिन खुले फुटवीयर की वजह से पांवों पर गंदगी तथा धूल जम जाती है जिससे पांवों की स्वच्छता पर असर पड़ता हैं।
दिन भर थकान के बाद घर पहुंचने पर ठण्डें पानी में थोड़ा सा नमक डालकर पांवों को अच्छी तरह भिगोइए तथा उसके बाद पांवों को खुले स्थान में सुखने दीजिए।
किसी भी सैलून में सप्ताह में एक बार पांवों की सफाई करवा लीजिए इससे पांवों को आरामदेह तथा अच्छी स्थिति में रखने में मदद मिलेगी।
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मानसून में पांवों की देखभाल के लिए इन घरेलू उपचार को भी अपनाइए
फूट सोक : बाल्टी में एक चौथाई गर्म पानी आधा कप खुरखुरा नमक, दस बूंदे नीबू रस या संतरे का सुंगधित तेल डालिए। यदि आपके पांव में ज्यादा पसीना निकलता है तो कुछ बुंदे टी-आयल को मिला लीजिए क्योंकि इसमें रोगाणु रोधक तत्व मौजूद होते है तथा यह पांव की बदबू को दूर करने में मदद करती है। इस मिश्रण में 10-15 मिनट तक पांवों को भीगोकर बाद में सुखा लीजिए।
फूट लोशन : 3 चम्मच गुलाब जल, 2 चम्मच नीबूं जूस तथा एक चम्मच शुद्ध गलिसरीन को मिश्रण तैयार करके इसे पांव पर आधा घण्टा तक लगाने के बाद पांव को ताजे साफ पानी से धोने के बाद सूखा लीजिए।
ड्राईनैस फूट केयर : एक बाल्टी के चौथाई हिस्से तक ठण्डा पानी भरिए तथा इस पानी में दो चम्मच शहद, एक चम्मच हर्बल शैम्पू, एक चम्मच बादाम तेल मिलाकर इस मिश्रण में 20 मिनट तक पांव भिगोइए। बाद में पांव को ताजे स्वच्छ पानी से धोकर सुखा लीजिए।
कुलिंग मसाज आयल : 100 मि.ली. लीटर जैतून तेल, 2 बूंद नीलगिरी तेल, 2 चम्मच रोजमेरी तेल, 3 चम्मच खसखस या गुलाब का तेल मिलाकर इस मिश्रण को एयरटाईट गिलास जार में डाल लीजिए। इस मिश्रण को प्रतिदिन पांव की मसाज में प्रयोग कीजिए। इससे पांवों को ठण्डक मिलेगी तथा यह त्वचा को सुरक्षा प्रदापन करके इसे स्वास्थ्यवर्धक रखेगा।
लेखिका अर्न्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौंदर्य विशेषज्ञ है तथा हर्बल क्वीन के रूप में लोकप्रिय है।
Posted By :Himachal News