हिमाचल न्यूज़ : डॉ यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी में आज फलों के पौधों की बिक्री और रोपण सलाहकार पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम यह सुनिश्चित किया गया कि बागवान नए बागीचों लगाते समय सही वैज्ञानिक सलाह का पालन करें।
वानिकी महाविद्यालय में किसानों और वैज्ञानिक भी विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस आयोजन में शामिल हुए। इस अवसर पर विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ पीके महाजन ने कहा कि विश्वविद्यालय किसानों तक प्रभावी ढंग से पहुंचने के लिए लगातार नए तरीकों को अपना रहा है। उन्होंने कहा कि रोपण विधि पर आयोजित इस विशेष कार्यक्रम से नए बागीचों को लगानेऔर उन्हें कीटों और बीमारियों से बचाने में मदद मिलेगी।
इस अवसर पर अपने संबोधन में डॉ कौशल ने कहा कि किसान-बागवान विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई रोपण सामग्री पर विश्वास करते हैंऔर पूरे देश में इसकी मांग रहती है। विश्वविद्यालय भी, अपनी ओर से किसानों को आपूर्ति करने के लिए पौधों की संख्या में लगातार वृद्धि कर रहा है और आने वाले वर्षों में इस संख्या को और बढ़ाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बागवानी में अच्छी गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए किसान रोपण करते समयसही वैज्ञानिक सलाह का पालन अवश्य करें।
इस कार्यक्रम के दौरान फलों की बागीचों कालेआउट और रोपण, प्राकृतिक खेती प्रणाली, सेब और आम की किस्मों पर वीडियो भी दिखाए गए। फसल उत्पादन पर पहले तकनीकी सत्र में नर्सरी प्रबंधन, स्थान-विशेष किस्मों और कीवी फल उत्पादन जैसे विषयों पर लैक्चर दिये गए। दूसरा तकनीकी सत्र फसल सुरक्षा पर रहा जिसमें महत्वपूर्ण बीमारियों, कीटों और उनके प्रबंधन पर प्रकाश डाला गया।
नौणी विवि में शुरू हुई वार्षिक फल पौधों की बिक्री शुरू
कोविड़ 19 महामारी के फैलाव को रोकने के लिए जारी दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए विश्वविद्यालय में आज से पौधों की बिक्री भी सुचारू रूप से संचालित की गई। निर्धारित तिथि के भीतर ऑनलाइन मांग फॉर्म भरकर भेजने वाले किसानों को सीमित संख्या में विश्वविद्यालय बुलाया गया। प्रत्येक दिन आवंटन सूची के अनुसार ही किसानों को विश्वविद्यालय में पौधे आवंटित किएजाएगें। विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर प्रत्येक दिन की आवंटन सूची अपलोड की जा रही है जिसमें समय के साथ आवंटित पौधों की संख्या और विश्वविद्यालय की नर्सरी के नाम दिया गया है जहां से पौधे लिए जा सकते हैं।
Posted By : Himachal News