हिमाचल न्यूज़ | अंतर्राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ और भारत सरकार की सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य डॉ. कमलजीत सोई ने कहा कि हिमाचल प्रदेश राज्य में राष्ट्रीय परमिट वाले सार्वजनिक सेवा वाहनों और माल वाहनों में AIS 140 युक्त वाहन लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइसों पर सवाल उठाए हैं।
बता दें कि डॉक्टर सोई लगातार तीन बार इस काउंसिल के सदस्य हैं। बीजेपी की राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने वाले डा. सोई जहां इंटरनैशनल रोड सेफ्टी एक्सपर्ट है, वही बीते दिनों किसान आंदोलन के दौरान किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच एक कड़ी का कार्य भी कर चुके हैं।
उनके पास रोड सेफ्टी में डॉक्टरेट की डिग्री भी है व भारत सहित कई अन्य देशों में भी बतौर रोड सेफ्टी एक्सपर्ट अपनी सेवाएं दे चुके हैं। अपनी रोड सेफ्टी की सेवाओं को लेकर कई देशों की सरकारें उन्हें विभिन्न प्रकार के सम्मानजनक अवार्ड भी प्रदान कर चुके हैं।
इसके साथ ही आमिर खान की मेजबानी वाले कार्यक्रम सत्यमेव जयते में भी डॉ. सोई ने रोड सेफ्टी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। उन्हें व्लर्ड बैंक के हिमाचल प्रदेश में चल रहे प्रोजेक्ट में भी सलाहकार बनाया गया है।
हिमाचल प्रदेश में इन बिन्दुओं पर उठाए सवाल
हिमाचल प्रदेश सरकार के परिवहन निदेशालय द्वारा कुछ VLTD निर्माताओं के व्यवसायी समूहों को नियम 125H के कार्यान्वयन के लिए प्रोत्साहित करना।
वाहन के राष्ट्रीय डेटाबेस के साथ रियल समय में VLT डिवाइसों की प्रभावी निगरानी और एकीकरण के लिए कॉमन स्टेट बैकएंड सिस्टम न अपनाने की परिवहन निदेशालय की जानबूझकर और अनियंत्रित देरी।
राज्य में VLT डिवाइसों के फिट होने के लिए 5 कंपनियों को पिछले 1 वर्ष से थर्ड पार्टी प्राइवेट बैकएंड सिस्टम के उपयोग से मानकों और निर्धारित नियमों को लागू करने की अनुमति दी गई है, जो AIS 140 के मानक अनुसार प्रमाणित और VAHAN के साथ समेकित नहीं है।
कार्यान्वयन का जो खाका तैयार किया गया है, उसमें अनेक व्यावहारिक कमियां हैं, जो हिमाचल प्रदेश में जनता के हित में वास्तव में हानिकारक हैं।
हिमाचल प्रदेश सरकार के परिवहन निदेशक के कार्यालय ने राज्य में अवैध रूप से VLT डिवाइसों के फिटमेंट के संबंध में थर्ड पार्टी प्राइवेट बैकएंड सिस्टम की अनुमति दी है जो स्पष्ट उल्लंघन और AIS 140 मानक के साथ-साथ सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना की अवहेलना है।
इस पर भी ध्यान दिया जाना है कि VLT इंस्टालेशनों पर राज्य का कोई नियंत्रण नहीं है और ऐसे निर्माता राज्य में प्रत्यक्ष अथवा अपने डीलरों के माध्यम से डमी VLT फिटमेंट या गैर-अनुपालन वाले VLT डिवाइसों को जारी रख रहे हैं।
यह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इस संबंध में दिनांक 28-11-2016, SO 1663 (E) दिनांक 18-04-2018 और SO 5453 (E) दिनांक 25-10-20182 के अंतर्गत जारी GSR 1095 की अधिसूचना और दिशानिर्देशों की पूर्णतया अवहेलना है ।
निर्दिष्ट अधिसूचनाओं के अंतर्गत यह निर्देश दिया गया है कि कमांड और कंट्रोल सेंटर राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत किया जाना है और इसका उपयोग विभिन्न हितधारकों जैसे राज्य आपातकालीन प्रतिक्रिया केंद्र, परिवहन विभाग या क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों, VLT डिवाइस निर्माताओं और उनके अधिकृत डीलरों, परीक्षण एजेंसियों, परमिट धारकों इत्यादि को AIS 140 के अभ्यास के कोड के अनुसार इंटरफ़ेस प्रदान करने के लिए किया जाएगा।
यह भी निर्देशित किया जाता है कि रियल समय में कमांड और कंट्रोल सेंटर ओवर स्पीडिंग, डिवाइस की चलन स्थिति और अन्य मापदंडों के संबंध में VAHAN डेटा बेस को फीड प्रदान करेगा और M2M दिशानिर्देशों के अनुसार अपेक्षित SIM वैधता प्रमाणित करने के लिए बैकएंड भी दूरसंचार सेवा प्रदाता के साथ समेकित होना चाहिए।
निर्धारित नियमों और शासी मानक का न्यायसंगत तरीके से पालन करने के लिए राज्य कर्तव्य-बद्ध है और अप्रमाणित प्राइवेट बैकएंड को दी गई अनुमति तुरंत रद्द करनी चाहिए और 1989 के CMV नियमों के नियम 125H के कार्यान्वयन के लिए सामान्य लेयर बैकएंड सिस्टम शामिल करते हुए हिमाचल प्रदेश के संपूर्ण राज्य में चल रहे NP के साथ PSV और मालवाहक वाहनों में वाहन लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइसों और आपातकालीन बटन का अनिवार्य फिटमेंट हो।
इस पर ध्यान देना प्रासंगिक होगा कि छत्तीसगढ़, दिल्ली (NCR), जम्मू एवं कश्मीर, उत्तराखंड, मेघालय जैसे राज्यों ने एकल समेकित राज्य बैकएंड के माध्यम से नियम 125H का कार्यान्वयन पहले ही शुरू कर दिया है।
परिवहन विभाग की इस लापरवाही से स्पष्ट तौर पर इस शासन का मुख्य उद्देश्य नाकाम हुआ है क्योंकि राज्य में कुछ असंगत कंपनियों की मिलीभगत से VLT के हल्की, नकली, डमी डिवाइसों की इंस्टॉलेशन अभी भी निर्दिष्ट अप्रमाणित प्राइवेट बैकएंड के उपयोग में लाए जा रहे हैं।
इसलिए, हिमाचल प्रदेश राज्य द्वारा अपनाई गई निरंकुश कार्यप्रणाली और कुछ निर्माताओं के साथ होने वाले पक्षपात का मैं दृढ़ता से विरोध करता हूं जिससे अन्य हकदार निर्माता वंचित रह जाते हैं।
क्या हासिल करना है और कैसे हासिल किया जाना है, इसके बीच सीधा संबंध है। इसलिए हिमाचल प्रदेश के परिवहन निदेशालय के इस प्रयास की मैं कड़ी निंदा करता हूं, जिसमें निजी संस्था के पांच VLT निर्माताओं के समूह को बिना निविदा प्रक्रिया के बैकएंड सर्विसेज देने और इस संबंध में MoRTH द्वारा जारी अनिवार्य दिशानिर्देशों की अनदेखी की गई है।
Posted By : Himachal News