हिमाचल न्यूज़ । ढोल- नगाड़ों की थाप, करनाल-नरसिंगों की गूंज, शहनाइयों की स्वरलहरियों के साथ सैंकड़ों देवी-देवताओं और भारी जनसैलाब की मौजूदगी में आज देव व मानसमिलन के अनूठे संगम के प्रतीक अन्तरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा महोत्सव का भव्य शुभारंभ हो गया है। सांय लगभग पांच बजे माता भेखली का इशारा मिलने के बाद भगवान रघुनाथ की भव्य रथ यात्रा शुरू हुई। दशहरे उत्सव में इस बार कुल्लू घाटी के 170 देवी-देवताओं ने हाजिरी भरी है।
आज सुबह से ही रघुनाथ की नगरी सुल्तानपुर में देवी-देवताओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। देवी-देवताओं ने भगवान रघुनाथ से देवमिलन किया और राजमहल में राजपरिवार को आशीर्वाद दिया। भगवान रघुनाथ के दरबार में हाजिरी भरने के बाद देवता अपने अस्थायी शिविरों की ओर लौटे।
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देवी-देवताओं की उपस्थिति से कुल्लू घाटी देवलोक में तब्दील हो गई है। कुल्लू दशहरा में इस बार 332 देवताओं को आमंत्रित किया गया था लेकिन इस साल 170 देवी देवता इस महाउत्सव में भाग ले रहे हैं। भव्य देवमिलन का नजारा देखने के लिए कई राज्यों के पर्यटक भी कुल्लू पहुंचे हैं।
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर भी हुए शामिल
सात दिनों तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा महोत्सव के दौरान रथयात्रा में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर शामिल हुए। राज्यपाल ने दशहरे के शुभ अवसर पर प्रदेशवासियों, विशेषकर घाटी के लोगों को बधाई दी। यह उत्सव बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की संस्कृति अनूठी है और इसकी एक अलग पहचान है। उन्होंने कहा कि यहां वर्ष भर मनाए जाने वाले मेले और त्यौहार लोगों की समृद्ध परंपराओं और मान्यताओं के द्योतक हैं।
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