सुपर-30 पटना का एक ऐसा शिक्षण संस्थान है जो चुने हुए बहुत ही गरीब परिवारों के बच्चों को भारत के विभिन्न आई आई टी (इंजीनियरिंग कॉलेजों) संस्थानों में प्रवेश परीक्षा को पास करवाने में मदद करता है। पिछले कई सालों से इस संस्थांन के ज्यादातर छात्र इस बेहद ही मुश्किल पेपर में सफल हुए हैं। इस संस्थान के संस्थापक आनंद कुमार हैं जो एक गणितज्ञ हैं।
ये संस्थान गरीब बच्चों को बिना फीस के खाना, रहना और कोचिंग देता रहा है। इसको चलाने के लिए आनंद कुमार अपने दूसरे संस्थान ‘रामानुज स्कूल ऑफ़ मैथमेटिक्स’ से खर्चा निकालते रहे हैं और किसी से डोनेशन भी नहीं लेते हैं।
काफी समय से सुनने में आ रहा था कि शायद ये संस्थान बंद होने को है। लेकिन इस साल खुद आनंद कुमार ने इसे बंद करने की घोषणा कर दी है। अब ये संस्थान बंद कर दिया गया है और आनंद कुमार ने खुद फेसबुक पर इसको क्यों बंद किया है इसकी पोस्ट डाली है।
आनंद कुमार की फेसबुक पोस्ट
इस पोस्ट के अनुसार उन्होंने कुछ और अच्छा करने के लिए एक साल का वक्त मांगा है। इस बीच वे देश- विदेश घूम कर कुछ अच्छी तकनीकों की जानकारी लेना चाह रहे हैं ताकि ज्यादा बच्चों की मदद कर सकें।
सुपर-30 क्या है और क्यों गरीब छात्रों का मसीहा कहलाता है?
सुपर-30 बिहार राज्य की राजधानी पटना में स्थित एक बहुत ही ख़ास और अनोखा कोचिंग इंस्टिट्यूट है। आइआइटी जो की भारत सरकार का सबसे बड़ा इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूट है, उस में प्रवेश पाने के लिए तैयारी करने के लिए सुपर-30 में मुफ्त शिक्षा दी जाती है। इसमें कोई शक नहीं कि 18 साल पहले तक आई आई टी की इस मुश्किल परीक्षा को पास करने के लिए छात्रों के पास कोई अच्छा संस्थान नहीं था, और अगर थे भी सही, तो वहां पढ़ने के लिए छात्रों को भारी भरकम फ़ीस चुकानी पड़ती थी लेकिन आनंद कुमार ने पिछले 18 सालों से हजारों गरीब मजदूरों, रिक्शा चलने वालों, चाय का ठेला लगाने वालों के बच्चों को आई आई टी में एडमिशन दिलवा कर उनकी जिंदगीं को बदल दिया।
इसका नाम सुपर-30 क्यों है?
इसमें हर साल सिर्फ 30 बच्चों को ही मुफ्त शिक्षा देने के लिए चुना जाता है। 30 बच्चे जो पढाई में तो बहुत अच्छे होते हैं और जिन में आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास कर काबिलियत होती हैं। सुपर-30 इसी बात के लिए बहुत मशहूर है क्योंकि इसमें हर साल पुरे देश से सिर्फ 30 बच्चों को चुनती है। फिर उन्हें मुफ्त में शिक्षा एक साल के लिए दी जाती है और वहां हर साल का रिजल्ट 100% होता है। यानि हर साल 30 में से लगभग सभी बच्चे आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास कर जाते हैं।
सुपर-30 के लिए एडमिशन योग्यता
जो भी छात्र गरीब परिवार से होते हैं और गरीबी के कारण पढाई नहीं कर पाते। वैसे लड़को में से ही सुपर-30 अपने बच्चो का चुनाव करते हैं। सुपर-30 में एडमिशन योग्यता के तौर पर छात्र उस लायक हैं या नहीं, ये एक परीक्षा लेकर देखा जाता है। सुपर-30 में एडमिशन लेने के लिए हर साल छात्रों की भारी भीड़ लगी जाती है। मई और जून के महीने में हर साल इसके लिए एक फॉर्म भरना होता है।
सुपर-30 की खास उपलब्धि
आनंद कुमार का नाम 2009 में लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज हो चुका है। सबसे ख़ास बात ये है की सुपर-30 पर एक फिल्म भी बनी है, जिसमे आनंद कुमार का किरदार ऋतिक रोशन ने निभाई हैं। सुपर 30 शिक्षा के क्षेत्र में अब तक दुनिया में अपना एक विशेष नाम दर्ज कर चुका है। इस संस्थान पर डिस्कवरी चैनल ने भी 2009 में एक घंटे की डाक्यूमेंट्री दिखाई थी। इस पर National Geographic Channel के द्वारा डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बन चुकी है और इसे पूरा विश्व भी देख चुका है। अमेरिकी समाचार पत्र “The New york Times ” में करीब आधे पेज पर सिर्फ सुपर-30 के बारे में एक लेख लिखा था। इसके अलावा पूर्व मिस जापान और अभिनेत्री नोरिका फुजिवारा जब पटना आयी थी तो उन्होंने एक सुपर-30 पर एक शार्ट फिल्म बनायीं थी। सुपर-30 को बीबीसी C के कार्यक्रम में भी शामिल किया गया था।
Posted By : Himachal News