हिमाचल न्यूज़ ज्योतिष सेवा डेस्क
Aaj Ka Panchang 09 February 2022 : आज 09 फरवरी 2022 को हिंदू पंचांग के अनुसार बुधवार है। बुधवार का दिन भगवान श्रीगणेश को समर्पित है। गणेशजी सभी देवता में प्रिय देता है। अत: बुधवार के दिन गणेशजी का पूजन-अर्चना करने से अनंत सुख और अपार धन-वैभव की प्राप्ति होती है। इस दिन बुध ग्रह का पूजन करना भी बहुत ही लाभदायी माना गया है। अगर आप भी आज कोई शुभ काम करने की सोच रहे हैं तो हिमाचल न्यूज़ (Himachal News) में आज का पंचांग (Aaj ka Panchang) देखकर जानें आज का शुभ और अशुभ मुहूर्त, और जानें कैसी रहेगी आज ग्रहों की चाल।
दैनिक पंचांग (Daily Panchang) 09 फरवरी 2022 (Today Panchang 09 February 2022)
शक सम्वत : 1943
विक्रम सम्वत : 2078
कलि सम्वत : 5123
मास : माघ
प्रविष्टे : 27
वैदिक ऋतु : शिशिर ऋतु
पक्ष : शुक्ल
तिथि : अष्टमी 8.31 AM तक, बाद में नवमी
वार : बुधवार
नक्षत्र : कृत्तिका 12.23 AM तक, बाद में रोहिणी
योग : ब्रह्म 5.51 PM तक, बाद में इन्द्र
करण : बव 8.31 AM तक, बाद में बालव 9.48 PM तक, बाद में कौलव
सूर्योदय : सुबह 07.06 AM
सूर्यास्त : शाम 06.15 PM
चन्द्रोदय : शाम 12.18 PM
चन्द्रास्त : 10 फरवरी, सुबह 01.57 AM
सूर्या राशि : सूर्य मकर राशि पर है।
चंद्रमा : चन्द्रमा 4:09 AM तक मेष राशि पर, बाद में वृषभ राशि पर संचार करेगा।
विजय मुहूर्त : दोपहर 2 बजकर 25 मिनट से 3 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।
निशीथ काल : मध्यसरात्रि 12 बजकर 9 मिनट से 1 बजकर 1 मिनट तक।
गोधूलि बेला : शाम 5 बजकर 56 मिनट से 6 बजकर 20 मिनट तक।
अमृत काल : रात को 9 बजकर 42 मिनट से 11 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
सर्वार्थ सिद्धि योग : पूरे दिन रहेगा।
रवि योग : रात को 12 बजकर 23 मिनट से अगले दिन सुबह 7 बजकर 4 मिनट तक।
आज के अशुभ मुहूर्त
राहु काल : दोपहर 12:30-1:30 PM बजे तक। शास्त्रों के अनुसार राहु काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।
गुलिक काल : सुबह 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक रहेगा।
यमगंड : सुबह 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक रहेगा।
दुर्मुहूर्त काल : रात को 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।
आज के उपाय : आज गणेशजी को लड्डू का भोग लगाएं और कपूर की लौ में दो लौंग डालकर देवी लक्ष्मी की आरती करें।
आज के व्रत त्योहार : महानन्दा नवमी
पंचांग का महत्व
प्रतिदिन प्रातःकाल पंचांग पढ़ना शुभ माना जाता है। पंचांग हिन्दू कैलेंडर है जो भारतीय वैदिक ज्योतिष में दर्शाया गया है। पंचांग मुख्य रूप से पांच अवयवों का गठन होता है, अर्थात् तिथि, वार, नक्षत्र, योग एवं करण। पंचांग एक निश्चित स्थान और समय के लिये सूर्य, चन्द्रमा और अन्य ग्रहों की स्थिति को दर्शाता है। हिन्दू धर्म में हिन्दी पंचांग के परामर्श के बिना शुभ कार्य जैसे शादी, नागरिक सम्बन्ध, महत्वपूर्ण कार्यक्रम, उद्घाटन समारोह, परीक्षा, साक्षात्कार, नया व्यवसाय या अन्य किसी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाते। शुभ कार्य प्रारम्भ करने से पहले महत्वपूर्ण तिथि का चयन करने में हिन्दू पंचांग मुख्य भूमिका निभाता है। यहां हम दैनिक पंचांग में आपको शुभमुहूर्त, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिन्दू मास, एवं पक्ष आदि की जानकारी देते हैं। पंचांग शुभ दिन, तारीख और समय पर शुभ कार्य आरंभ करने और किसी भी तरह के नकारात्मक प्रभाव को नष्ट करने का विचार प्रदान करता है।
पंचांग के पांच अंग
तिथि : हिन्दू काल गणना के अनुसार 'चन्द्र रेखांक' को 'सूर्य रेखांक' से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है। एक माह में तीस तिथियां होती हैं और ये तिथियां दो पक्षों में विभाजित होती हैं। शुक्ल पक्ष की आखिरी तिथि को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। तिथि के नाम - प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्थदशी, अमावस्या/पूर्णिमा।
वार : वार का आशय दिन से है। एक सप्ताह में सात वार होते हैं। ये सात वार ग्रहों के नाम से रखे गए हैं - सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार।
नक्षत्र : आकाश मंडल में एक तारा समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इसमें 27 नक्षत्र होते हैं और नौ ग्रहों को इन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। 27 नक्षत्रों के नाम - अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र।
योग : नक्षत्र की भांति योग भी 27 प्रकार के होते हैं। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम - विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।
करण : एक तिथि में दो करण होते हैं। एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक तिथि के उत्तरार्ध में। ऐसे कुल 11 करण होते हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं - बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। विष्टि करण को भद्रा कहते हैं और भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।
शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष :चंद्रमा के रोशनी वाले पखवाड़े वाले समय को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। यह अमावस्या से पूर्णिमा तक का समय होता है जब चंद्रमा चमकता है। जबकि वह समय जब चंद्रमा अपने रूप को धूमिल करता है उसे कृष्ण पक्ष कहा जाता है। यह अवधि पूर्णिमा से शुरू होती है और नव चन्द्र दिवस पर समाप्त होती है। इनमें से प्रत्येक अवधि में 15 दिन होते हैं जिन्हें क्रमशः शुक्ल पक्ष तिथि और कृष्ण पक्ष तिथि के रूप में जाना जाता है।
राहुकाल : वैदिक शास्त्रों के अनुसार राहुकाल में शुभ कार्य आरंभ करने से बचना चाहिए। राहुकाल प्रत्येक दिन 90 मिनट का एक निश्चित समय होता है। राहुकाल का समय किसी स्थान के सूर्योदय व वार पर निर्भर करता हैं।
शुभ मुहूर्त : शुभ मुहूर्त किसी भी मांगलिक कार्य को शुरु करने का ऐसा शुभ समय होता है जिसमें तमाम ग्रह और नक्षत्र शुभ परिणाम देने वाले होते हैं। इस समय में कार्यारंभ करने से लक्ष्यों को हासिल करने में सफलता मिलती है और काम में लगने वाली अड़चने दूर होती हैं। आजकल शुभ मुहूर्त को शुभघड़ी भी कहा जाता है।
ज्योतिषाचार्य पं. महेंद्र कुमार शर्मा
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Posted By : Himachal News