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हिमाचल प्रदेश सचिवालय का एक ऐसा कमरा, जो भी मंत्री यहां बैठा, अगला चुनाव जीत नहीं पाया

सोमसी देष्टा : शिमला | December 19, 2022 10:33 AM
फोटो - हिमाचल न्यूज़

हिमाचल न्यूज़ | मानो या न मानो लेकिन यह सच है। हिमाचल प्रदेश सचिवालय में एक कमरा ऐसा भी है, जहां जो भी मंत्री बैठा वो अगला चुनाव जीत नहीं पाता। अब इसे अंधविश्वास कहें, भ्रम कहें या लोगों के फैलाई बातें, लेकिन नजर तो यही आता है कि हिमाचल प्रदेश सचिवालय के कमरा नंबर 202 में बैठने वाले मंत्री को अगले चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ता है। हालिया इतिहास तो इस बात की तस्दीक करता नजर आता है।

हिमाचल सचिवालय में मंत्री का यह कमरा नंबर 202 मुख्यमंत्री कार्यालय की ऊपरी मंजिला में दाईं तरफ का पहला कमरा है। इस कमरे में जो भी मंत्री बैठे हैं, वह अगला चुनाव नहीं जीत पाए हैं।

 

1998 : जे पी नड्डा को भी देखना पड़ा था हार का मुंह

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा भाजपा की तत्कालीन धूमल सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने। नड्डा को जीत के बाद कमरा नंबर 202 में ही बैठने का मौका मिला, लेकिन अगले चुनाव में साल 2003 में नड्डा चुनाव हार गए। हालांकि इसके बाद साल 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में नड्डा ने एक बार फिर जीत हासिल कर कैबिनेट मंत्री का रैंक हासिल किया। इस बार धूमल सरकार में वन मंत्री रहते हुए जगत प्रकाश नड्डा ने प्रदेश की राजनीति को अलविदा कह दिया और केंद्र की राजनीति में चले गए। आज जगत प्रकाश नड्डा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

 

2003 : आशा कुमारी को भी नहीं रास आया यह कमरा

जगत प्रकाश नड्डा के बाद कांग्रेस की कद्दावर महिला नेता आशा कुमारी साल 2003 में आशा कुमारी को कैबिनेट मंत्री बनने के बाद यही कमरा मिला। पहले तो साल 2005 में एक जमीन से जुड़े मामले में आशा कुमारी को मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा और इसके बाद साल 2007 में वे भाजपा नेता रेनु चड्डा से चुनाव हार गईं।

 

2007 : बागवान नेता नरेंद्र बरागटा को भी चखना पड़ा हार का स्वाद

वर्ष 2007 में एक बार फिर प्रदेश में प्रो. प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी। इस बार धूमल मंत्रिमंडल में यह कमरा बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा के हिस्से में आया। नरेंद्र बरागटा जुब्बल-कोटखाई विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनकर आए। प्रदेश भर उनकी पहचान बागवान नेता के रूप में रही। कमरा नंबर 202 के फेर में बरागटा भी ऐसे फंसे कि 2012 के चुनाव में उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री राम लाल ठाकुर के पोते रोहित ठाकुर के सामने हार का स्वाद चखना पड़ा।

 

2012 : 'स्माइलिंग लीडर' सुधीर शर्मा से भी कमरा नंबर 202 ने छीनी मुस्कान

साल 2012 में कमरा नंबर 202 के लपेटे में आए 'स्माइलिंग लीडर' सुधीर शर्मा। सुधीर शर्मा साल 2012 में वीरभद्र सिंह सरकार में शहरी विकास मंत्री बने। कैबिनेट मंत्री रहते हुए अपने इलाके के साथ प्रदेश भर का में विकास कार्य को गति देने का काम किया। बावजूद इसके सुधीर शर्मा भी साल 2017 में धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए। हर स्थिति में मुस्कुराते रहने वाले सुधीर शर्मा की मुस्कान कमरा नंबर 202 ने ग्रहण लगा दिया।

 

2017 : रामलाल मारकंडा भी नहीं बदल पाए रिवाज़

बीते करीब 20 सालों से अपने मालिकों को हराता आया कमरा नंबर 202 इस बार रामलाल मारकंडा को अपनी चपेट में लाया। साल 2017 में जयराम ठाकुर की सरकार में डॉ.राम लाल मारकंडा को जनजातीय विकास मंत्री बनाया गया। कमरा जैसे ही डॉ. मारकंडा को आवंटित हुआ, शुभचिंतकों ने बताया, मंत्री जी! कमरा कुछ ठीक नहीं है। मारकंडा ने अंधविश्वास न करने की बात कही, लेकिन इसके बाद रामलाल मारकंडा ने कमरे में प्रवेश के साथ ही पूजा भी करवाई। पांच साल में कई बार मारकंडा की कुर्सी पर भी खतरा मंडराया, लेकिन वे इसे पार कर गए। रामलाल मारकंडा का पूजा-पाठ भी कमरा नंबर 202 का रिवाज बदल पाया और वे कांग्रेस प्रत्याशी रवि ठाकुर से 1616 मतों से हार गए।

 

2022 : अब किसकी बारी

अगले कुछ दिनों में जब हिमाचल प्रदेश सरकार में नए मंत्रिमंडल का गठन होगा तो नए मंत्रियों में राज्य सचिवालय के इस कमरा नंबर 202 में कौन बैठेगा? सत्ता के गलियारों में यह चर्चा आम है।

 

Posted By : Himachal News

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