हिमाचल न्यूज़ | डॉ वाई.एस.परमार औद्यानिकी एवं बागवानी विश्वविद्यालय नौणी के क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र मशोबरा की ओर से लाहुल-स्पीति के उदयपुर में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा कृषि फसलों की माईट पर ऑल इंडिया नेटवर्क परियोजना के अन्तर्गत प्रायोजित जनजातीय उपयोजना के अन्तर्गत एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में उदयपुर पंचायत के करीब 60 किसानों ने भाग लिया।
इस अवसर पर परियोजना प्रभारी व कीट वैज्ञानिक डॉ संगीता शर्मा ने शीतोष्ण फलों व पॉलीहाउस में लगने वाली माईट की पहचान, क्षति के लक्षण तथा रोकथाम के बारे में बागवानों को विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवाई गई। उन्होंने बागवानों को बताया कि माईट एक सूक्ष्मदर्शी जीव है जिसके लगातार पत्तों से रस चूसने पर पत्तों का रंग फीका पड़ जाता है और फल कच्चे तथा छोटे आकार के रह जाते हैं। अगले वर्ष बीम कम बनते हैं और उत्पादन में भारी कम आती है। माईट के अण्डों के सर्दियों में फूटने से बचाने के लिए हार्टिकल्चरल मिनरल तेलों का हरित कली अवस्था पर छिड़काव करना चाहिए। यदि माईट को जनसंख्या प्रति पत्ता 6.8 हो जाए तो माईटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए। बागवानों को मित्र कीटों की पहचान के बारे में भी अवगत करवाया गया।
फल वैज्ञानिक डॉ नीना चौहान ने पौधों को सिंचाई तथा कटाई के बारे में बागवानों को जागरूक किया। बागवानों को सेब के पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों के बारे में भी जानकारी दी गई। सघन बागवानी पौधों की प्रूनिंग सही तरीके से करने पर फलों की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है।
इस मौके पर बागवानों को पाठ्य सामग्री जिसमें माईट एवं फल उत्पादन से संबंधित पुस्तकें तथा कृषि उपकरण निःशुल्क वितरित किए गए।
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Posted By : Himachal News