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बंजार (कुल्लू) : कुल्लू जिला की बंजार घाटी बेशक कुदरत ने अपने हाथों से सजाई है लेकिन पर्यटन के लिहाज से यह घाटी अभी भी उपेक्षित और ठुकराई हुई सी प्रतीत होती है l घाटी के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क को यूनिस्को की विश्वधरोहर बनाने के प्रयास आखिरी चरण में होने से घाटी का महत्व और भी बढ़ जाता हैl घाटी को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के राजनेताओं ने वादे तो बहुत किए लेकिन सिरे किसी ने भी नहीं चढ़ायाl
खुबसूरत सोझा, गजब सरयोलसर, मस्ताना रघुपुरगढ़
बंजार क्षेत्र के प्रबुद्ध लोग बताते है कि 1992 -93 मे उपमंडल मुख्यालय से करीब 16 किलोमीटर दूर खुबसूरत सोझा में पर्यटन परिसर बनाए जाने की कवायद शुरू हुए थी, लेकिन वह टांय - टांय फिस्स हो गईl सोझा में स्थानीय लोगों के कुछ यूनिट जरुर बने है लेकिन सरकार की बेरुखी के चलते सोझा को वह मुकाम नहीं मिल पाया जो उसे मिलना चाहिए थाl स्थानीय लोग कहते हैं कि सोझा के आसपास जहां जालोड़ी दर्रा है वही, रघुपुरगढ़ का प्राकृतिक सौन्दर्य और आस्था स्थली सरयोलसर झील अनूठी हैl इनका कहना है कि यदि इस स्थल को विकसित करने के प्रयास किए जाते तो यहां का कायाकल्प होताl गौरतलब है कि अभी भी सोझा होते हुए पर्यटकों की शिमला और मनाली आवाजाही कम नहीं है लेकिन बदहाल सड़के, प्रचार प्रसार की कमी के चलते सोझा पर्यटन के लिहाज से विकसित होने को तरस रहा हैl
धरोहर बने चेहणी
बंजार के समीप पहाड़ी वास्तुशिल्प का बेजोड़ प्रमाण लिए चेहणी को भी पहचान की दरकार हैl इतिहास की गवाह यहां की ईमारतें रख - रखाव को तरस रही हैं l इसे कोई भी इसे गंभीरता से नहीं ले रहा हैl पर्यटन के लिहाज से सरकार द्वारा यदि थोड़े से भी प्रयास किए जाए तो ये स्थल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद बन सकता हैl लोगों की राय में यहां की तरह वास्तुशिल्प के नमूने कहीं और देखने को नहीं मिलतेl लिहाजा चेहणी को जहां धरोहर गावं बनाए जाने की जरूरत है वही सड़क से जोड़ने की भी आवश्यकता हैl भौगोलिक दृष्टि से चेहणी की ऊंचाई वास्तुशिल्प का अजूबा है lलोगों को मलाल है कि इसके संरक्षण की दिशा में सरकारी प्रयास सिफ़र हैl
तीर्थन : लोगो ने संवारा, सरकार ने नकारा
बंजार की तीर्थन घाटी ट्राउट मछली के लिए विख्यात हैl ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के अस्तित्व में आने के बाद घाटी का महत्व और भी बढ़ गया हैl इस घाटी मे पार्क प्रबंधन द्वारा संचालित पर्यटन सूचना केन्द्र होने से दो दर्जन से भी ज्यादा देशों के सैलानी यहां कदम धर चुके हैंl
घाटी में पर्यटन कारोबार को अंजाम दे रहे राजेंदर चौहान और आशीष प्रभात का दावा है कि इसी घाटी ने प्रदेश को इको टूरिज्म और होम स्टे का मॉडल दिया हैl यह घाटी अभी भी पर्यटन मानचित्र पर अपना स्थान दर्ज नही करवा पाई हैl हैरानी की बात तो यह है कि इको टूरिज्म का मॉडल देने वाले इस गांव के लिए सरकार ने और उसके हुक्मरानों द्वारा एक टूरिज्म सर्किट में भी शामिल नहीं हैl जबकि, प्रदेश में दर्जन भर इको टूरिज्म सर्किट बनाए गए हैंl
तीर्थन जलधारा ट्राउट आखेट की बदौलत देश विदेश के सैलिनियों के लिए आकर्षण का केंद बनी हुई हैl जुलाई 2005 मे नागणी फार्म बाढ़ में बह गया थाl घाटी से विशेष प्रेम रखने वाले तत्कालीन मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री हर्ष महाजन के सतत प्रयासों से हामणी में नए फार्म और एक विश्रामगृह का निर्माण किया गया है l लेकिन, ताज्जुब तो इस बात का है कि यह उद्घाटन की बाट जोह रहा हैl
तीर्थन घाटी में साहसिक गतिविधियों के शौकीनों की यहां अच्छी खासी भीड़ लगी रहती हैl लोगों का मानना है कि ऐसे में देहुरी स्थित जिस भूमि का चयन पहले नवोदय के लिए किया गया उस भूमि पर एक नेचर पार्क बनाया जाना चाहिएl
नज़र ए इनायत को तरसती सैंज घाटी
बंजार उपमंडल की सैंज घाटी के शांघड़ का कोई सानी नहीं हैl खजियार का सा नजारा लिए यह स्थल भी अभी तक गुमनामी के अंधेरे में हैl सैंज घाटी के बाह, धाऊगी, दलोगीसर और देहुरी, बंजार घाटी के गाड़ा-गुशैणी, खावली, जीभी, घियागी आदि दर्जनों ऐसे पड़ाव है जहां पर्यटक तो पहुंचते है लेकिन घाटी पर्यटन की दृष्टी से उपेक्षित ही दिखाई देती हैl
घाटी के प्रकृति प्रेमी हो, जनप्रतिनिधि हो या फिर घाटी के कदरदान पर्यटक हो सभी का कहना है कि बंजार घाटी के प्राक्रतिक सौन्दर्य में पर्यटकों को लुभाने की भरपूर क्षमता है लेकिन इसे प्रचार प्रसार और सरकार की नजरे इनायत की आवश्यकता हैl
दौलत भारती