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6 जुलाई का इतिहास: भारत और विश्व इतिहास में 6 जुलाई की प्रमुख घटनाएं

हिमाचल न्यूज़ रिसर्च डेस्क | July 06, 2023 07:59 AM
आज का इतिहास | फोटो: हिमाचल न्यूज़

6 जुलाई: ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार 6 जुलाई वर्ष का 187वां (लीप वर्ष में यह 188वां) दिन है। साल में अभी 178 दिन शेष हैं। भारत और विश्व इतिहास में 6 जुलाई का खास महत्व है, क्योंकि इस दिन कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटी जो इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज होकर रह गईं हैं। आज का इतिहास में जानिए आज के दिन जन्मे चर्चित व्यक्ति, प्रसिद्ध व्यक्तियों के निधन, युद्ध संधि, किसी देश की आजादी, नई तकनिकी का अविष्कार, सत्ता का बदलना, महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दिवस के बारे में। आईए हिमाचल न्यूज़ में पढ़ें भारत और विश्व इतिहास के पन्‍नों में दर्ज 6 जुलाई का इतिहास एवं घटनाक्रम।

 

6 जुलाई की प्रमुख घटनाएं (What Happened on 6 July in History)

1892: ब्रिटेन ने पहली बार किसी भारतीय को सांसद चुना, दादाभाई नौरोजी ने ब्रिटिश संसद में भारत की आजादी की आवाज उठाई

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक सदस्यों में से एक दादाभाई नौरोजी ने आज ही के दिन 1892 में ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमंस का चुनाव जीता था। उन्होंने सेंट्रल फिंस्बरी की सीट से लिबरल पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता था। इसी के साथ ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमंस के सदस्य बनने वाले वो पहले भारतीय बने।

दादाभाई नौरोजी का मानना था कि भारत को ब्रिटेन की संसद के भीतर से ही अपनी आजादी के लिए आवाज उठानी चाहिए और उन्होंने ऐसा किया भी। चुनाव जीतते ही उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन एक ‘दुष्ट’ ताकत है, जिसने अपने उपनिवेशों को गुलाम बना रखा है।

उन्होंने भारत की गरीबी के पीछे ब्रिटिश नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। नौरोजी ने एक कानून के जरिए भारतीयों के हाथ में सत्ता लाने का प्रयास भी किया। संसद सदस्य रहने के दौरान ही उन्होंने महिलाओं को वोट देने के अधिकार का समर्थन किया, बुजुर्गों को पेंशन और हाउस ऑफ लॉर्ड्स को खत्म करने जैसे मुद्दों को भी जोर-शोर से उठाया।

4 सितंबर 1825 को बॉम्बे में जन्मे दादाभाई नौरोजी ने एल्फिंस्टन कॉलेज से पढ़ाई की थी। बाद में इसी संस्थान में पढ़ाने भी लगे। 1855 में कामा एंड कंपनी के हिस्सेदार के रूप में दादाभाई नौरोजी इंग्लैंड चले गए। इसी के साथ ही दादाभाई नौरोजी पहले ऐसे व्यक्ति भी बने जिन्होंने ब्रिटेन में किसी भारतीय कंपनी को स्थापित किया।

बाद में उन्होंने नैतिक कारणों का हवाला देते हुए इस कंपनी से इस्तीफा दे दिया और अपनी खुद की कंपनी खोली। इस कंपनी को उन्होंने नौरोजी एंड कंपनी नाम दिया। ये कंपनी कपास का व्यापार करती थी। कुछ समय बाद वे यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन में गुजराती भाषा के प्रोफेसर नियुक्त हुए।

1886 में नौरोजी पहली बार हाउस ऑफ कॉमंस के चुनावों में खड़े हुए। उन्होंने सेंट्रल लंदन की होल्बर्न सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन 1701 वोटों से हार गए।

उनका चुनाव में खड़ा होना ही अहम फैसला था। ब्रिटेन के लोगों ने उनके भारतीय होने की वजह से कई रंगभेदी टिप्पणियां की। प्रधानमंत्री लॉर्ड सेलिस्बरी ने तो यहां तक कह दिया कि ब्रिटेन के लोग कभी भी एक काले भारतीय को अपना नेता नहीं चुनेंगे।

लेकिन नौरोजी इतनी आसानी से हार मानने वाले नहीं थे। 1892 में एक बार फिर वे चुनाव में खड़े हुए। इस बार सेंट्रल फिंस्बरी उनका क्षेत्र था। कहा जाता है कि उस समय यहां पर ज्यादातर कामकाजी लोग रहा करते थे और ये लोग भारतीयों के प्रति संवेदना रखते थे।

आखिरकार 6 जुलाई 1892 को नौरोजी हाउस ऑफ कॉमंस के सदस्य बनने में कामयाब रहे। उनका कार्यकाल 3 साल का ही रहा। 1895 और 1907 के भी चुनावों में वो खड़े हुए, लेकिन जीत नहीं पाए। उसके बाद उन्होंने इंग्लैंड छोड़ दिया और अंत तक भारत में ही रहे।

 

1954: भारत की पहली महिला बैरिस्टर कार्नेलिया सोराबजी का निधन हुआ

15 नवंबर 1866 को महाराष्ट्र के नासिक में जन्मीं कार्नेलिया सोराबजी भारत की पहली महिला वकील थीं। उस समय जब महिलाओं को पढ़ाना अच्छा नहीं माना जाता था तब कॉर्नेलिया ने ऑक्सफोर्ड जैसे प्रतिष्ठित कॉलेज में पढ़ाई कर भारत का नाम रोशन किया।

वो बॉम्बे यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री लेने वाली पहली महिला भी थीं। कार्नेलिया की मां नारी शिक्षा की प्रबल पक्षधर थीं और उन्होंने लड़कियों की पढ़ाई के लिए कई स्कूल भी खोले थे। उन्होंने अपनी बेटी को भी अच्छी शिक्षा दिलाने का फैसला लिया।

बॉम्बे यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद लॉ की पढ़ाई के लिए कार्नेलिया ने ऑक्सफोर्ड की परीक्षा दी। परीक्षा में सबसे ज्यादा अंक पाने के बावजूद उन्हें महिला होने की वजह से स्कॉलरशिप देने से मना कर दिया गया। कुछ अंग्रेज महिलाओं की मदद से पढ़ाई के लिए पैसों का इंतजाम किया गया।

जैसे तैसे कॉर्नेलिया ने पढ़ाई पूरी तो कर ली, लेकिन कॉलेज ने उन्हें डिग्री देने से मना कर दिया। कॉलेज का कहना था कि महिलाओं को वकालत करने की इजाजत नहीं है इसलिए डिग्री नहीं दी जा सकती। भारत लौटने के बाद उन्होंने महिलाओं को कानूनी सलाह देनी शुरू की और महिलाओं को भी वकालत करने की इजाजत देने की मांग उठाई।

इस दौरान वो बंगाल, बिहार, उड़ीसा और असम की अदालतों में सहायक महिला वकील के पद पर रहीं। लंबी जद्दोजहद के बाद 1924 में महिलाओं को वकालत से रोकने वाले कानून को शिथिल कर उनके लिए भी यह पेशा खोल दिया गया।

1929 में कार्नेलिया हाईकोर्ट की वरिष्ठ वकील के तौर पर रिटायर हुईं। आज ही के दिन 1954 में उनका निधन हुआ।

 

2006: दोबारा शुरू हुआ था नाथूला पास

2006 में आज ही के दिन भारत और चीन ने सुलह करते हुए करीब 4 दशक बाद नाथूला पास को फिर से खोला था। नाथूला पास 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद बंद हुआ था।

उससे पहले तक सिक्किम के इस पास से भारत और चीन के बीच व्यापार होता था। कपड़ा, साबुन, तेल, सीमेंट और दूसरी चीजों को सीमा के पार तिब्बत भेजा जाता था। वहां से रेशम, कच्चा ऊन, देसी शराब, कीमती पत्थर, सोने और चांदी के बर्तन लाए जाते थे।

नाथूला पास भारत के सिक्किम में डोगेक्या श्रेणी में स्थित है। इस पास के जरिए दार्जिलिंग और चुम्बी घाटी से होकर तिब्बत जाने का रास्ता है। सर्दियों को छोड़कर बाकी के दिनों में ये पास व्यापार के लिए खुला होता है।

साभार: दैनिक भास्कर

 

विश्व जूनोसिस दिवस

प्रसिद्व फ्रांसीसी रसायनज्ञ और वैज्ञानिक लुई पाश्चर द्वारा पहले सफल रैबीज टीके की खोज के उपलक्ष में जूनोसिस बीमारियों के खतरे से आगाह करते हुए मनाया जाता है। रोगग्रस्त पशुओं व मनुष्यों से स्वस्थ पशुओं व मनुष्यों में फैलने वाले संचारी रोगों को अंग्रेजी में जूनोसिस कहते हैं। इसे पशु-जनित व पशुजन्य रोग भी कहते हैं। इस प्रकार की करीब 150 बीमारियां हैं। इनमें रेबीज, बर्ड फ्लू, स्वाइनफ्लू, जापानी मस्तिष्क ज्वर, प्लेग, टी.बी. जैसी बीमारियां शामिल हैं। इनमें कई बीमारियां प्राणघातक होती हैं परन्तु समय पर इनका इलाज और रोकथाम भी संभव है। टीकाकरण से इनको रोका जा सकता है। मनुष्यों में इन बीमारियों से बचाव व जागरुकता करने के लिए विश्व जूनोसिस दिवस का खास महत्व है।

 

देश-विदेश में 6 जुलाई को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता है

1483: रिचर्ड III इंग्लैंड के राजा बने।  

1785: संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए पैसा के रूप में डॉलर को सर्वसम्मति से चुना गया।

1787: हावड़ा के सिबपुर में इंडियन बॉटेनिकल गार्डन की स्थापना हुई। इसे अब आचार्य जगदीश चंद्र बोस इंडियन बॉटेनिकल गार्डन कहते हैं।

1885: लुई पाश्चर ने रेबिज के टीके का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने रेबीज के टीके का पहली बार 9 साल के बच्चे पर इस्तेमाल किया। इस बच्चे को कुत्ते ने काट लिया था, लेकिन लुई के टीके के बाद बच्चे को रेबीज नहीं हुआ। इस खोज ने मेडिकल की दुनिया में एक क्रांति ला दी। 

1892: दादाभाई नौरोजी पहले भारतीय ब्रिटेन में संसद सदस्य के रूप में चुने गए। 

1928: पहली फुल लेंथ बोलती फिल्म 'लाइट्स ऑफ न्यूयॉर्क' का न्यूयॉर्क में प्रीमियर हुआ।

1944: महात्मा गांधी को नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने पहली बार 'राष्ट्रपिता' के नाम से संबोधित किया।    

1959: वेल्लोर अस्पताल में पहली बार सफलतापूर्वक ओपन हार्ट सर्जरी हुयी।

1961: मोजाम्बिक के निकट पुर्तगाल के जहाज में विस्फोट से 300 लोग मरे।

2005: मैक्सिको में मानव का चालीस हज़ार वर्ष पुराना पदचिह्न मिला।    

2008: दक्षिणी मिस्र में 5000 साल पुराने शाही क़ब्रिस्तान की खोज की गई।

2012: पाकिस्तान में बंदूकधारियों ने 18 लोगों की हत्या की।

2013: नाइजीरिया में आतंकवादियों ने स्कूल में हमला करके 42 लोगों की हत्या की।

2014: इजरायली वायु सेना ने गाजा पट्टी पर हमला कर हमास के सात सदस्यों को मार गिराया।

 

6 जुलाई को जन्मे व्यक्ति (Born on 6 July)

1901: श्यामाप्रसाद मुखर्जी - भारतीय राजनीतिज्ञ।

1935: दलाई लामा - बौद्ध धर्म के धर्मगुरु।

1947: अनवर जलालपुरी - 'यश भारती' से सम्मानित उर्दू के मशहूर शायर थे।

 

6 जुलाई को हुए निधन (Died on 6 July)

1894: प्रताप नारायण मिश्र - हिन्दी खड़ी बोली और 'भारतेन्दु युग' के उन्नायक।

1986: जगजीवन राम - आधुनिक भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष, जिन्हें आदर से 'बाबूजी' कहा जाता था।

1997: चेतन आनंद - प्रसिद्ध फ़िल्म निर्माता-निर्देशक।

2002: ठाकुर राम लाल - हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री।

2002: धीरूभाई अंबानी - भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति थे।

2014: ग्रैनविल ऑस्टिन - पद्मश्री से सम्मानित अमेरिकी विद्वान् एवं इतिहासकार।

 

प्रस्तुति
हिमाचल न्यूज़ रिसर्च डेस्क

बाहरी कड़ियां
विकिपीडिया
bharatdiscovery.org

Posted By: Himachal News

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